Thursday, May 7, 2015

माँ#32

 माँ तेरी ममता, 
तेरी गोदी मेरा सर,
काश की दो पल,
माँ फिर से तुम लाओ।।


वो प्यारी लोरी,
वो हिंदी गीत,
सुनहरे सपने ,
माँ फिर से दिखाओ ।।

थक गया मै,
देर हुई बहुत,
वो मीठे आम,
माँ फिर से खिलाओ ।।


वो  गुड्डी और गुड्डों,
की छोटी सी दुनिया,
वो छोटे से मंडप,
माँ फिर से सजाओ ।।

थोड़े से पैसों के,
ठेले की कुल्फी,
वो ग्लूकोस की बिस्कुट,
माँ फिर से खिलाओ ।।


आज गर्मी है बहुत,
आम का जूस,
जल्दी लाओ,
वो मटकी से पानी,
माँ जल्दी पिलाओ ।।

आज गर्मी है,
अपने आंचल में,
वो हाथ का पंखा,
माँ जल्दी झुलाओ ।।

आज सर्दी है बहुत,
वो कान बंद,
उन के स्वेटर,
पैरों  में मोज़े,
माँ फिर से पहनाओ,
माँ तेरी ममता ......





 

नज्म ऐ भोपाल #शेर

मेरी तो फितरत है बहना
मै तो बस राह के मंजर पे
अपनी नाव खेता हूँ
और धारा को समझता हूँ ||


ये तेरी फितरत है या हुनर
मौला
तेरे दर आना सबको पड़ता है
चाहे मोहरे जितने जूटा लो
जाना खाली हाथ पड़ता है ||

शायद गलत हम निकले
जो दियेबान जलाये बैठे
एक वो हैं जिन्होंने
पागल समझ लिया ||

चेहरों पे यकीन करना छोड़ ग़ालिब
चंद मोहरों में इंसान बदल जाते हैं |

तेरी और मेरी बंदगी में,
फर्क सिर्फ इतना है ||
मै तुमको मांगता हूँ,
और तुम खुशियाँ || ....

तेरी बेगुनाही का सबूत मिलता नही
और तुम बेगुनाह बने फिरते हो ||


"श्री"