Saturday, November 26, 2016

You#शेर

जिंदगी इशरत में
एक ख्वाब देखा
जागती आँखों में
संसार देखा
कवायद थी
इन्तहा की हद थी
इस हद में
जिंदगी को
गुलजार देखा
आंसू की मोती
आँखों में लिए
मोहब्बत का
मुमताज देखा
शायद इन आँखों ने
तुझमे अपना
संसार देखा

हूनर तेरे मोहब्बत का
कशिश मेरी होगी
आँखें तेरी पर
मोहब्बत मेरी होगी
कभी सुकून से देख
लेना तस्वीर अपनी
चेहरा तेरा
निगाहें मेरी होंगी ।।

फिर यकीन होगी
मोहब्बत की आरजू
तड़पना शायद
पड़ेगा उम्र भर यूँ ही
शिकायत नही
इबादत है
खुदा से फिरभी
तुम फिर भी हो
जरूरत मेरी

मेरे अलफ़ाज़ में मेरी मोहब्बत को पहचान लेना
थोड़ा समझ लो तो अलफ़ाज़ मोहब्बत होंगे ।।

Thursday, November 10, 2016

भगत गांधी#9

इन्कलाब के दिन
न सहीं पर
फिर से ये गीत सुनाऊंगा
जब भगत झूल गए फांसी पर
मै बिस्मिल के गीत सुनाऊंगा ।।

तुम होगे राष्ट्र पिता पर
उस दिन पिता नही बन पाए थे
युवा देश भक्त बेटे की
जान नही बचाए थे

जलीय वाला बाग़ के
मजबूरों को इन्साफ नही
दिलाया था ।
खूब किया ऊधम सिंग ने
जो डायर को मारा था
लहू विरंजित भारत माँ को
सच्चा इन्साफ दिलाया था ।।

करनी तो उनकी भी
हिंसा पर चलती थी
फिर भी पक्ष
अंग्रेजों का ले के
उन बेटों को
नही बचाया था
भारत माँ के बेटों को
शूली पर चढ़वाया था ।।