Tuesday, October 24, 2017

मोहब्बत#2

तुम तुम हो गयी,
मैं मय हो गया ।।

कभी अधरायी सी ,
मोहब्बत स्वर हो गयी ।।
तुम तुम हो ...…....

यकीन फ़िर,
आज पत्थर हो गया ।।
उम्मीद सारी,
ओझल ओस हो गयी ।।

अलसायी सी प्यास,
जख्म हो गयी ।।
नासूर सी तलब ,
बेखबर हो गयी ।।

तुम तुम हो .....

"श्री"