मुझे आजकल ,
कुछ अच्छा नही लगता ,
कुछ नए दोस्त हैं वैसे ,
पुराने जैसा नही लगता ।
टपरी की चाय,
नसीब नही,
कैफे की चाय का माहौल,
अच्छा नहीं रहता ।
नए दोस्त पैसों की,
शबाब में है शायद ,
आईफोन व्हाट्सएप का याराना,
अच्छा नही लगता ।
मुझे जमीन में,
बैठना पसंद है,
आकाश के तारें गिनना,
भी पसंद है,
ये पीवीआर इंस्टा वाला, जमाना अच्छा नहीं लगता।
कुछ दोस्त रिश्ते बनाते है , हैसियत देखकर
मुझे बड़ी कारों वालों से दोस्ती करना ,
अच्छा नही लगता,
किसी नदी के किनारे,
कहीं शाम तक बैठ,
दोस्तों के ठहाकों के साथ,
नजारा दूर तक देखें,
ये गांव ये पुराने मकान,
आज भी सुख के वो, यादगार पल देता है ,
जो शहर का बंगला बड़ी कोठी नही देता ।
श्री