Tuesday, March 18, 2014

अधिकार#3

कभी अपने दिल से पूछो ,
मै तो बस फ़र्ज़ के राह पे मायूस रहा ।

यूँ तो अफसाने कहे हमने बड़ी फुरसत से ,
मै बड़ी तेज समीरों के संग बहता चला ।
वो  मेरी रंगियत पे सवाल करे ,
मै बस कारवाँ माझी कि लय बढ़ता ही चला ।

कभी अफ़सोस जता जिंदगी कि लव पे ,
एक आशियान महलों का बुनता हि चला ।
गमों के साथ है दोस्ती  बड़ी गहरी ऐ सफ़र,
काटों  सँग फूलों के रँग रचता  ही चला ।

मन्नतों से संजोया था अरमान ऐ सफ़र,
बडी राह तक आशा के दिये जलाता चला।
तेज़ थी धार ऐ दिशा तूफान कि,
मै  बस अपने सपनों के लिए लड़ता ही चला ।
           "श्री"