Thursday, March 23, 2023

आजकल

किस्से आजतक कहानी कल तक,
जिंदगी जिएं भी तो कैसे,
रात आज तक दिन कल तक,
साथ रहें भी तो कैसे ।

वादे आंखों से , रिश्ते दिल तक
निभाएं भी तो कैसे ,
दूरी दुनिया की , नजदीकी दिल तक
पास आएं भी तो कैसे ।

दो धागे उलझे गाठों से,
साथ माला पिरोएं भी तो कैसे
अपने अपने जीवन के सफर
मिल के साथ जीएं भी तो कैसे ।

Friday, February 24, 2023

कुछ अपने

अप्रैल 19, 2019 एक नई शुरुवात, हालांकि एक बिजनेस फैमिली होने के कारण हम इस रास्ते पर पहले भी चल चुके थे । लेकिन व्यापार भी तो नया था।  जिसमे हमारा अनुभव नया रहा । खैर ऊपर वाले सभी गुरुजनों , बड़े व्यापारियों का शुक्रिया, जिन्होंने हर कदम पर हमारा सहयोग किया। कभी ग्राहकों की डांट ने नई राह दिखलाई , तो कभी आगे बढ़ने का हौसला दिलाया ।  वैसे राह आसान नहीं थी । कुछ मां,पापा , छोटे भाई ने, तो कुछ अपनो ने हौसला दिया।  सीखने की राह कभी न छोड़ने का जज्बा नए शिखर की ओर ले आया ।
दिनों दिन इनफिनिटी मेंस & किड्स सरकंडा बिलासपुर आप सभी  शहरवासियों के जिंदगी का एक हिस्सा बन कर उभरा । जिनके लिए सभी दोस्तों एवम हौसला बढ़ाने वाले सभी ग्राहकों का तहे दिल से शुक्रिया ! आज हम अपनी सेवाओं के पांचवे वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं । आशा है  , आपका सहयोग एवम सुझाव आगे भी इसी तरह मिलता रहेगा । 

आपकी अपनी संस्थान
इनफिनिटी मेंस एंड किड्स वियर
खमतराई रोड सरकंडा बिलासपुर 

Tuesday, February 14, 2023

anantsaar

अनंतसार

यह कविता पारिवारिक लोक लाज को बचाने गृह स्वामिनी के जीवन से उद्धृत वो बीजक है, जिसका संपादक यह समाज है । गृह स्वामिनी अंतः मन में अक्सर ये सार लिए बैठी है । की मैं अपने मां बाप की बेटी हूं , जिसको समाज में केवल समनार्थ सूचक शब्द बनाकर रखा है । अपने मां बाबा की बेटी जो वक्त के साथ पराई लगती है। बेटियां जब बड़ी होती है , और उनकी जब शादी हो जाती है । पति के सात वचन से संग्रहित वचनों के साथ एक और वचन का निर्वहन करती है । जो वह शादी पर नही लेती । की वह कभी दूसरी शादी नही करेगी । चाहे उसका पति उसको ना ही अपना मान रहा, ये अपना मानना मतलब सखा मानना। पति और पत्नी एक दूजे  को अपना वचन निर्वाहक के रूप में अपनाती है । जिनको वो साथ फेरे के वक्त लेती हैं । खैर आठवां वचन जो वह सात वचन के साथ लेती है । वो है आप ससुराल में ही अपने पति के साथ ही खुश रहोगी । चाहे उसका पति आपको सहृदय प्रेम से अपना न माने । और चाहे उसका पति उसको अपना न कहे। चाहे सामाजिक दिखावे के लिए शादी हुई हो । भारतीय समाज में दिखावे के लिए भी शादी की जाती है  , कभी समाज को दिखाना हो की लड़के की आखिर शादी हो गई ही गई । क्यों न लड़का मंद बुद्धि , विकृत , शारीरिक दुर्बलता, के साथ ही क्यों न जन्मा हो । वह इस समाज की दुश्मन अनंत सार , उस अष्ट वचन धारी नारी के आगामी जीवन का सार हूं जिसने न जानते हुए की मेरी शादी किस  जाहिल, मंद बुद्धि , विकृत , शारीरिक दुर्बलता, के साथ जन्मे इस विकृत व्यक्तित्व के साथ अपना आजीवन जीने के लिए  वो आठवां वचन हूं । जिसकी साक्षी अग्नि को साक्षी मान कर लेती है । की मैं कभी दूसरी शादी नही करूंगी । चाहे मुझे प्रताणित किया जाय, चाहे खुश न रखा चाहे। चाहे केवल पैसे के लिए किया जाय। कभी दिखावों के लिए जीया जाता है।  क्योंकि मेरी छोटी बहने हैं।भाई हैं । हम कभी दूजी शादी नहीं करेंगे। क्योंकि अगर मैंने की तो सब करेंगे। मैं करूंगी तो छोटे भी करेंगे । इस विष के साथ इस जीवन को अपना लेती है की जिंदगी में केवल अपने परिवार को नहीं तोड़ना है।  कभी तलाक नहीं लूंगी । चाहे पति न अपना, पारिवारिक रिश्ते लिए साथ दो चार फोटो के लिए शादी करते है । और पत्नी एक अनन्त जेल में कैद वो कैदी बन जाती है । जो केवल अपने नए घर में एक गेट कीपर बन कर रह जाती है । शायद यही जिंदगानी है  ।

Wednesday, August 3, 2022

love

एक उम्र तक जज्बात साथ रखते हो ,
एक पल में अकेला छोड़ जाते हो ।
कसूर क्या है , मेरी मोहब्ब्त का 
अक्सर महफिल में अकेला छोड़ जाते हो ।
मोहब्ब्त तुमसे है खूब है । खबर है तुमको 
फिर भी मायूस मुझे तन्हा छोड़ जाते हो ।

Monday, April 11, 2022

सफर अच्छा रहा ।

सफर अच्छा रहा,
की दोस्त कम मिले,
राह तो आसान न थी,
जो मिले सच्चे मिले ।।
सफर अच्छा रहा की दोस्त.....

बयां न कर पाएं,
जो जज़्बात के अंदाज,
दर्द को दर्द से बांटते,
दिलदार है मिले,
टूटते सपनो को,
हकीकत न होने दिया ,
अपनी हंसी ठिठोली में 
हर पल को है जिया ।
सफर अच्छा रहा की दोस्त .....

एक आवाज पर,
लांघते थे चौखट,
जो नंगे पांव,
यार के आवाज से,
मुस्काती थी हर शाम,
जिंदगी की खुद्दारी के,
इनाम कम मिले ।
सफर अच्छा रहा की दोस्त.....

आज भी आबाद है,
जिंदगी उसी अंदाज में ,
थोड़े यार इक्कठे हो ,
उसी  गांव के चौराहे पे,
ठहाके गूंजेगी फिर
मुस्कुराएगा अतीत ।
सफर अच्छा रहा की दोस्त.....

भूत , भविष्य ,वर्तमान के,
अलंकार हैं मिले ,
कभी सपने थे भविष्य के,
अब यादें है बीतें वर्षों का
आइना है आने वाले वर्षों का 
सब कुछ बदल सा गया , 
कुछ दोस्त कम न हुए 
सफर अच्छा रहा की दोस्त.......

Saturday, February 19, 2022

फगुनिया

का बताएं के दुनिया 
कैसी चली तेरे बिन रे फगुनिया ......

सांझ दुवारे की बिजली 
हा तरसत हैं ,
देखत रद्दा 
संग नयन भटकत है ।
कोयल के कुहू ले मिठ्ठ 
तोर बोली के गीत 
गुनगुनावत हो ।


का बताएं के दुनिया .....


Saturday, February 5, 2022

आईना

ख्वाब की परी 


यूँ ही हम अक्सर ,

एक ख्वाब से ,

मंजिल की तलाश में 

एक नाव से 



अधूरे अधूरे अहसास से 

अधूरे अधूरे कहानीकार से 

एक मंच दो कलाकार से 

कहानी के अलग किरदार से 



थकान में , जरूरत में 

पास पास से ,

उजियारी अंधियारी दुनिया में 

साथ साथ से 


नदी में किनारों में 

साथ साथ से 

एक दुआ एक अहसास में 

साथ साथ से