Monday, August 12, 2019

मोहबब्त पूर्ववत 38

उम्रे तकरार में ,
धुंधली मोहबब्त के किस्से,
कसमें वादे यादें ,
बस शिकवे से रह जाते हैं ,
शिकायत जिंदगी ,
तलाशती है  यादों की चादर में
अनुभव बिजली सी,
वो सावन याद आती है ,
घटा जब झूम उठती है,
यादें बेचैन पड़ते है,
मन फिर मौन होते हैं ,
सरहद याद आती है,
फर्क मोहबब्त का
रह गया आख़िर,
कोई निभा जाता है ।
तो कोई तोड़ जाता है ।

श्री