मेरे ईश्वर ....
एक अनछुआ अहसास ,
जब अपनों के पास आ जाये ,
तो क्या बात है ||
जिन्होंने हमें चलना सिखाया ,
उनकी लाठी बन पायें ,
तो क्या बात है ||
जिन्होंने हमे सपने दिखाए ,
उन्हें सुकून की नींद दे पायें ,
तो क्या बात है ||
हर जरुरत को जिन्होंने पूरा किया ,
उनकी जरुरत में काम आ सकें ,
तो क्या बात है ||
जिन्होंने पल पल हमपे कुर्बान किया ,
उनकी खुशियों की नीव बन पायें ,
तो क्या बात है ||
जिनकी गोद में दुनियाँ का सुख पाया ,
उनकी गोद में जहाँ की खुशियाँ दे पायें ,
तो क्या बात है ||
भीड़ में खोये हैं हम भी तुम भी ,
इस भीड़ में अपने माता पिता की ,
हर आवाज सुन सकें ,
तो क्या बात है ||
श्रीकुमार गुप्ता
कभी सपनों का महल ,तो कभी आंसुओं की फरियाद है | कभी रेत की ढेर सी खामोश ,तो कभी पेड की छाँव है ये जिंदगी || कभी गीता की पाठ ,तो कभी कुरान की आयात है | एक कारवाँ सपनों का बागबाँ ,तो कभी माझी की नैया और पतवार है ये जिंदगी || कभी काँटों का दामन , कभी जश्ने बहार है| शांति की वीणा ,तो कभी लहू की ललकार एक आवाज़ है ये जिंदगी || कभी ममता की छाँव कहीं ,तो कभी करुणा की तस्वीर है | आने वाले जीवन की, अनुभवों की गीत है ये जिंदगी || -श्रीकुमार गुप्ता
Thursday, April 29, 2010
Thursday, April 15, 2010
बेसबब बात बढ़ जाएगी
बेसबब बात बढ़ जाएगी ....
न सताना इस नाजुक दिल को ,
न मुस्कुराना चौराहे पे देख के मुझको ,
काफ़िर हूँ मै तेरी सुनी गलियों का ,
बेसबब बात बढ़ जाएगी |
न बिछाना राह में टेसू के फूल ,
एक दिन रंगीनियत पे अंधियारी छा जाएगी ,
किस्मत की लकीरों ने लिखे हैं जीवन में काँटे ,
ह्रदय की धड़कन थम जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
न बुनना रिश्तों की माला ,
न करना कच्चे वादे ,
न पुकारना घर की मुँडेर से मुझको ,
तुम दिल में समा जाओगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
न रोना बार बार समझाने पर ,
न आना मिलने सुहानी शाम ढले ,
नित् दिन के वो गुलाब के फूल ,
अमावस पे चाँदनी छा जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
न रचाना हाँथों में मेहँदी प्यार की ,
न दिखाना अधूरे सपने ,
बस दिख जाना शाम को रस्ते पर कहीं ,
गली में उजियाली छा जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
न आना बार बार घर पूछने मुझको ,
न देना जन्म दिवस पे प्यारे तोह्फे ,
ख्याल करना न याद करूँ तुमको ,
प्यारी यादें इस दिल में उतर जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
न लिखना खत प्यार वाले ,
न करना साथ जीने की उम्मीद ,
गर न हुए हम कामयाब ,
मेरी उम्मीदें थम जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
करवटें ले कर कटी है रातें ,
करते हैं साथ जीने मरने के वादें ,
एक आरजू बन मन में रहना ,
ये जान ही निकल जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी .........
न थामना किसी और का हाथ ,
न बसाना किसी और को दिल में ,
दिल में सहेज कर रखा है तुमको ,
कविताओं में मेरी प्रीत अमर रह जाएगी |
बेसबब बात बढ़ जाएगी ............
श्रीकुमार गुप्ता
Thursday, April 8, 2010
नक्सलवाद (naxalism )34
नक्सलवाद
लहू की गंगा
और ख़ूनी आँख ,
इसी का नाम है
नक्सलवाद |
कहो मारोगे ,
या काटोगे ,
या जिन्दा
जलाओगे |
दल दल हो
तुम,
क्रोध की
अग्नि में,
एक दिन खुद ही
भस्म हो जाओगे |
एक गँदगी हो तुम ,
अपनी गलती दोहराते हो ,
बस भोग विलास के
बहाने तलासते हो |
बदलना चाहते हो सत्ता ,
और सामने आने
से भी घबराते हो |
अपनी ऊँची बातों से ,
भोले ग्रामीणों को
बहकाते हो |
न ये कारवाँ रुकेगा ,
न तुम सफल हो पाओगे ,
एक काले धब्बे से ,
बस अपनी औकात
दिखाओगे |
वो गौरव के सितारे है |
जो शहीद हुए ,
तुम तो बिना कफ़न के ही ,
दफ़न हो जाओगे |
और मिटटी की
गहराई में ,
अपने कोरे अस्तित्व
को पाओगे |
श्रीकुमार गुप्ता
लहू की गंगा
और ख़ूनी आँख ,
इसी का नाम है
नक्सलवाद |
कहो मारोगे ,
या काटोगे ,
या जिन्दा
जलाओगे |
दल दल हो
तुम,
क्रोध की
अग्नि में,
एक दिन खुद ही
भस्म हो जाओगे |
एक गँदगी हो तुम ,
अपनी गलती दोहराते हो ,
बस भोग विलास के
बहाने तलासते हो |
बदलना चाहते हो सत्ता ,
और सामने आने
से भी घबराते हो |
अपनी ऊँची बातों से ,
भोले ग्रामीणों को
बहकाते हो |
न ये कारवाँ रुकेगा ,
न तुम सफल हो पाओगे ,
एक काले धब्बे से ,
बस अपनी औकात
दिखाओगे |
वो गौरव के सितारे है |
जो शहीद हुए ,
तुम तो बिना कफ़न के ही ,
दफ़न हो जाओगे |
और मिटटी की
गहराई में ,
अपने कोरे अस्तित्व
को पाओगे |
श्रीकुमार गुप्ता
Tuesday, April 6, 2010
कौन यहाँ जिन्दा रहता है.........................
कौन यहाँ जिन्दा रहता है.........................
कौन होता है किसी का दुश्मन ,
कम्बख्त दोस्त ही दगा देता है |
क्या पाओगे किसी का खून करके ,
कम्बख्त खून ही आंसू देता है |
चीर दूँ दुनिया तेरे प्यार के लिए ,
कमबख्त दिल ही दगा देता है |
वो तो मौत ही ठुकराती है हमें ,
वरना कौन यहाँ जिन्दा रहता है |
कौन होता है किसी का दुश्मन ,
कम्बख्त दोस्त ही दगा देता है |
क्या पाओगे किसी का खून करके ,
कम्बख्त खून ही आंसू देता है |
चीर दूँ दुनिया तेरे प्यार के लिए ,
कमबख्त दिल ही दगा देता है |
वो तो मौत ही ठुकराती है हमें ,
वरना कौन यहाँ जिन्दा रहता है |
Thursday, April 1, 2010
मोहतरमा
वो काँटों का दर्द भी ना सह सके .......................
है तवज्जुब बड़ी बेशर्म वो हया ,
जो परवानो से रुकसत ना हो सके |
एक अनजूबन थी मोहब्बत मेरी ,
और वो खुद से भी प्यार ना कर सके |
हम वफा कि तराजू पे बैठे जनम ,
वो पल का हिसाब भी ना दे सके |
जब भी लाल होती शाम जळते हर पल को हम ,
वो एक चिंगारी से आग भी ना बन सके |
तेरी अदा पे है जलते और मरते है हम,
वो काँटों का दर्द भी ना सह सके |
है तवज्जुब बड़ी बेशर्म वो हया ,
जो परवानो से रुकसत ना हो सके |
एक अनजूबन थी मोहब्बत मेरी ,
और वो खुद से भी प्यार ना कर सके |
हम वफा कि तराजू पे बैठे जनम ,
वो पल का हिसाब भी ना दे सके |
जब भी लाल होती शाम जळते हर पल को हम ,
वो एक चिंगारी से आग भी ना बन सके |
तेरी अदा पे है जलते और मरते है हम,
वो काँटों का दर्द भी ना सह सके |
Subscribe to:
Posts (Atom)