A LETTER TO GOD
सेवा में ,
मेरे ईश्वर
कुछ चेतनाएँ जीवन की अतीत में झांकते हुए उन अनंत सोंच के बाद मेरे मनोभावों में जागृत एक प्रसस्त्र पुँज रूपी ज्योति प्रगट हुई है | आधा अधुरा ज्ञान है , पर पता नहीं क्यों सोंचता हूँ ,ये ज्ञान पूर्ण हो पाए भी या नहीं | कभी यूँ लगता है , मै तन्हा इन कठनाइयों को सह पाऊंगा भी कि नहीं | हो सकता है ये सम्भव न हो ,मै लडूंगा और अंततः जीतूँगा , ये वादा है | ये जिन्दगी निरंतर हर पल हर क्षण ये संघर्ष मेरी जिन्दगी है | क्या करूं जीतना तो है ,सो जीत कर ही दम लूँगा | लोग कहते है ,जिन्दगी की कहानी अधूरी होती है पर मेरी कहानी पूरी होगी | और ये कटु सच्चाई से प्रेरित होगी | क्योंकि ये मेरी जिन्दगी की कहानी है |
प्रार्थी-
श्रीकुमार गुप्ता
"ये जिन्दगी निरंतर हर पल हर क्षण ये संघर्ष मेरी जिन्दगी है |क्या करूं जीतना तो है,सो जीत कर ही दम लूँगा"
ReplyDeleteye vishvaash banaaye rakhna ji....parmaatma bhi aapko jitta huaa dekhna chaahenge....
shubhkaamnaaye swikaar kare...
kunwar ji,
मै लडूंगा और अंततः जीतूँगा , ये वादा है |
ReplyDeleteYahi to jeevandaayi wishwaas hai!
bahut khub...
ReplyDeleteisi vishwaas ki jaroorat hai aaj....
बस एक विशवास की ही तो ज़रूरत है !
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