Wednesday, July 10, 2019

गजल ए तकरीर41

अब मुमकिन नही फिर भी अल्फ़ाज़ कह जाता हूं ।।

गजल ए तकरीर

ए जिंदगी  ए पीर मुझे मेरा मौला दे दे ,

गुजरा वक़्त का किरदार नया सा दे दे ,

तेरे जन्नत का नही शौक कबूल मुझको ,

मुझे किरदार मेरा इश्क पुराना दे दे ।।

वक़्त की धूप में होती है ताकत नई,

मुझे मेरी शौक की दौलत दे दे,

अधूरा इश्क रह गया था प्याला बन कर,

उस प्याले को अधूरा ही पी लेने दे ।।

फिर कुछ देर गुनगुनाने दे ,

उनके चेहरे पे फिर खो जाने दे ,

मयस्सर नही मुझे जमाना खारिज,

इस जमाने में फिर दौर पुराना दे दे ।।

Monday, July 8, 2019

नसीहत 42

क्यों याद आ जाती हो
किस्मत के थपेड़ों को
फिर घर कर जाती हो
अंधेरी गलियारों को

राहें तब भी अलग थी
आज भी अलग ही हैं
इन राहों में राहें
क्यों तलाशती हो आखिर

मंजर अलग थे अलग हैं
अलग हो गए शायद
मंजिल एक थी एक है
और एक रह रह गयी आखिर

दुनिया लकीरों की
मोहताज थी
जो आज हकीकत
हो गयी आखिर

तलाश तुम्हारी थी आज भी है
पूरी हो न पाएगी
अधूरा इश्क था अधूरा है
अधूरा रह गया आखिर च

Sunday, July 7, 2019

याद ए भोपाल

भींगी बरसात में चाँद को निहारते ,
फिर बारिश और झील का किनारा ,
कितना मधुर था वो रेस्टोरेंट का गाना ,
आज फिर घटा है सावन की ,
चलो बड़ी झील पे गुनगुना लेते हैं ,
कुछ आराम के पल इस जद्दोजहद,
की जिंदगी में फरमा लेते हैं ,
जब ये पल न होंगे तो ,
फिर शायराना कल याद करेंगे ,
जब कुछ पल मिल जाएंगे तो ,
फिर जिंदगी आबाद करेंगे ,
फिर आने की फरियाद ,
तुम्हे याद करेंगे ।।

श्री 

Friday, July 5, 2019

मनवा

कभी यादों को खुशबू से
लपेट लेते हैं
मोहबब्त है तेरी
परछाई से भी
रिश्ता जोड़ लेते हैं

कुछ आँसू आज भी
डबडबाते हैं
निकलने को
है इतना प्यार आंखों
को तरसता
छोड़ देते हैं

जुनून है, कशिश है,
रिश्ता भी है शायद
इरादे, जिंदगी
ख्वाहिश, जमाना
छोड़ देते हैं ।

श्री