Monday, March 29, 2010

शायद कभी #8

शायद कभी .............
शायद कभी .............


शायद कभी वो पल ना आता, 
जीवन का वो कल ना आता,
रुला रुला मरहम न भरता , 
दिल मे मेरे गम ना भरता ।

जिंदगी जन्नत वो करके ,
जिंदगी से आ लडी थी,
मुझ को तो लगता था जैसे , 
जन्मों कि बिछ्डी मिली थी |

बातों मे खोया हुआ , 
लगता था कोई अपनी मिली थी,
लगता था जादुई छडी थी ,
दिल मे मेरी आ पडी थी |

आँसुओं कि वो लडी थी , 
जाने कैसी वो घडी थी,
बात करना भूल कर वो, 
देख कर भी चुप खडी थी |

दिल मे तो गम का था साया, 
आंखो मे शर्मिंदगी थी,
लगता था मेरे लिए वो, 
अंबर तल पर आ खडी थी | 

पल दो पल कि खुशियाँ देकर, 
जाने क्यो गुमशुम खडी थी,
जिंदगी जन्नत वो करके , 
जिंदगी से आ लडी थी |

भूल कर रिश्ते वो नाते, 
पत्थरों सी वो खडी थी,
जाने कैसी वो घडी थी , 
रुठ कर बिछ्डी चली थी ।

"श्री"

Sunday, March 21, 2010

बचपन #1(OLDEN DAYS WAS GOLDEN DAYS )1


बचपन

एक लम्बी सांस,
और धूप कि रानी,
घंटों जीवन,
अजब कहानी।

वो मिट्टी के घर,
और कंचा लडाई,
लम्बे - लम्बे रास्ते,
और अपनी सवारी ।

कभी यारों कि यारी,
कभी खूब लडाई,
अपने घरौंदे
प्यार कि निशानी।

वो होली की रंगत,
और दिपों की थाली,
थोड़े से पैसे ,
और खू उधारी।

मिठी मिठी यादें,
अब लम्बी कहानी,
मंदिर कि पूजा,
और पूजा कि थाली।

वो मिठी सी यादें,
अब लम्बी रुआंसी,
ये निर्जल आँसू,
 अब प्यारी कहानी।
श्रीकुमार गुप्ता

Saturday, March 20, 2010

TERRORIST


आतंकवादी.......

खुद को शेर कहते हो,
अरे डरपोक चुहे हो तुम |

निह्त्थो पर वार करने वाले
दरिंदगी कि हद हो तुम |

खुद को बन्दे कहने वाले
शैतान कि औलाद हो तुम |

दम है तो सामना करो
क्यों डर कर भागते हो तुम |

अपने घर वालों हि नही
इस दुनिया के कलंक हो तुम .......
श्रीकुमार गुप्ता

Monday, March 15, 2010

THE BURNING PERSON 43

जब खुशियों से सब जलते हैं ......

किसको समझे हम अपना,
जब खुशियों से सब जलते हैं ||


किसी के खातिर खून बहा कर ,
हेय में खुशियाँ भरतें हैं |
और किसी को देख ख़ुशी में,
ज्वाला से हम जलते हैं ||


टीसुओं से कर मोह्भ्रमित,
जब कर्त्तव्य निर्वहन करते हैं |
और किसी के खेल हेय से,
पंछी के पर उड़ते हैं ||