कभी सपनों का महल ,तो कभी आंसुओं की फरियाद है |
कभी रेत की ढेर सी खामोश ,तो कभी पेड की छाँव है ये जिंदगी ||
कभी गीता की पाठ ,तो कभी कुरान की आयात है |
एक कारवाँ सपनों का बागबाँ ,तो कभी माझी
की नैया और पतवार है ये जिंदगी ||
कभी काँटों का दामन , कभी जश्ने बहार है|
शांति की वीणा ,तो कभी लहू की ललकार एक आवाज़ है ये जिंदगी ||
कभी ममता की छाँव कहीं ,तो कभी करुणा की तस्वीर है |
आने वाले जीवन की, अनुभवों की गीत है ये जिंदगी ||
-श्रीकुमार गुप्ता
इस प्रस्तुति में एक शराबी मधुशाला में बैठ साकी से अपनी गुजरी जिन्दगी बयां कर रहा है | अपनी प्रेमिका के प्रति अपनी आस्था दर्शाता है | अपनी प्रेमिका के चले जाने के बाद "काश कहीं तुम मिल ....."
टूट गये वो कसमें साकी , छुट गये वो रिस्ते साकी |
क्रुन्दन की एक नंत स्वप्न में , डूब गया वो जीवन साकी |
झोकें से कर करुण वंदना , सेज सकून कर जीवन साकी |
जाने कैसे रक्त नीर से , खेल रहा हो जीवन साकी |
तेज राह पर थामे श्रृष्टि , क्यों करती वो विचलित साकी |
गलियारों की एक छोर पर , जाने क्यों है दृष्टि साकी |
आसमान की थामे बाहें , क्यों है आँखे क्रोसित साकी |
जब से तुमको चाहा है , जीवन से बहुत कुछ पाया है || {१} एक आस के जीवन साथ जियें , एक आस की सुख दुःख साथ सहें , हे प्राण प्रिये जब साथ हो तुम , तो क्या इस जग में चाहा है || {२} हो दूर गगन के साये में , जब मौत मुझे लेने आये , फरियाद ये रब से करता हूँ , बाहों में तुम्हारी जीना है , बाहों में तुम्हारी मरना है || {३} जीवन एक मिट्टी का घर है , एक दिन तो इसे भी ढहना है , हे , प्राण प्रिये जब साथ हो तो , हर जीवन साथ में जीना है , हर जीवन तेरे संग जीना है || श्रीकुमार गुप्ता