जब से तुमको चाहा है ,
जीवन से बहुत कुछ पाया है ||
{१}
एक आस के जीवन साथ जियें ,
एक आस की सुख दुःख साथ सहें ,
हे प्राण प्रिये जब साथ हो तुम ,
तो क्या इस जग में चाहा है ||
{२}
हो दूर गगन के साये में ,
जब मौत मुझे लेने आये ,
फरियाद ये रब से करता हूँ ,
बाहों में तुम्हारी जीना है ,
बाहों में तुम्हारी मरना है ||
{३}
जीवन एक मिट्टी का घर है ,
एक दिन तो इसे भी ढहना है ,
हे , प्राण प्रिये जब साथ हो तो ,
हर जीवन साथ में जीना है ,
हर जीवन तेरे संग जीना है ||
श्रीकुमार गुप्ता
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...प्रेमरस में पगी हुई...
ReplyDeleteहो दूर गगन के साये में ,
ReplyDeleteजब मौत मुझे लेने आये ,
फरियाद ये रब से करता हूँ ,
बाहों में तुम्हारी जीना है ,
बाहों में तुम्हारी मरना है ||
Behad sundar!
बहुत बढ़िया लिखा आपने...पसंद आई आपकी रचना.
ReplyDelete______________
'पाखी की दुनिया' में आपका स्वागत है !!
very nice.......
ReplyDeleteichha ,udgaar our smrpn ki milijuli sundr prstuti.
ReplyDeletebhai bhut bhut bdhai .
prem bhaav ki acchi abhivyakti.
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