ए कश्मीर तू आज एक किताब है ,
तेरे वजूद पर हर बार सवाल है ,
तू वो कर्ण है ,
जो दुर्योधन के साथ है ।।
अब देख तू महाभारत,
तेरे दुर्योधन और तेरे धृतराष्ट्र,
ना ही डर न किसी का साथ,
बस सच्चाई और हरि का साथ ।।
लगा दे बल पर सम्हल,
तू जीत न पाएगा,
परसुराम के श्राप से,
युद्ध की शक्ति भूल जाएगा ।।
इस हिस्से की लड़ाई में ,
अपने रिश्ते भूल जाएगा,
अपने भाइयों के दुख में भी,
तू ना आँसू बहायेगा,
हर बार पछतायेगा,
और अपनी औकात दिखायेगा ।
शांति के इस देश मे,
तेरा अशांत मन पछताएगा,
तेरा दुर्योधन स्नेह,
रह रह तेरा मन भड़कायेगा ।।
तू श्रेष्ठ है तू हिन्द है ,
अब भी सम्हल जा ,
वरना तेरा वजूद ,
बदल जायेगा ,
तेरा वजूद,
बदल जायेगा ।।
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