इस प्रस्तुति में एक शराबी मधुशाला में बैठ साकी से अपनी गुजरी जिन्दगी बयां कर रहा है | अपनी प्रेमिका के प्रति अपनी आस्था दर्शाता है | अपनी प्रेमिका के चले जाने के बाद
"काश कहीं तुम मिल ....."
टूट गये वो कसमें साकी ,
छुट गये वो रिस्ते साकी |
क्रुन्दन की एक नंत स्वप्न में ,
डूब गया वो जीवन साकी |
झोकें से कर करुण वंदना ,
सेज सकून कर जीवन साकी |
जाने कैसे रक्त नीर से ,
खेल रहा हो जीवन साकी |
तेज राह पर थामे श्रृष्टि ,
क्यों करती वो विचलित साकी |
गलियारों की एक छोर पर ,
जाने क्यों है दृष्टि साकी |
आसमान की थामे बाहें ,
क्यों है आँखे क्रोसित साकी |
जब से तुमको चाहा है....
जब से तुमको चाहा है ,
जीवन से बहुत कुछ पाया है ||
{१}
एक आस के जीवन साथ जियें ,
एक आस की सुख दुःख साथ सहें ,
हे प्राण प्रिये जब साथ हो तुम ,
तो क्या इस जग में चाहा है ||
{२}
हो दूर गगन के साये में ,
जब मौत मुझे लेने आये ,
फरियाद ये रब से करता हूँ ,
बाहों में तुम्हारी जीना है ,
बाहों में तुम्हारी मरना है ||
{३}
जीवन एक मिट्टी का घर है ,
एक दिन तो इसे भी ढहना है ,
हे , प्राण प्रिये जब साथ हो तो ,
हर जीवन साथ में जीना है ,
हर जीवन तेरे संग जीना है ||
श्रीकुमार गुप्ता