चलो लौटते हैं ।।
कुछ गीत गुनगुनाते,
कुछ लफड़े गिनाते,
थोड़ी जेब तलासते,
थोड़ी मुस्कान समेटे,
चलो घर लौटते हैं ।
पुराने दोस्तों के पास,
पुरानी जमीन पे,
पुराने सोफे के पास,
फिर वही कम्बल,
ओढ़ते है ।
चलो घर लौटते हैं ।।
वक़्त है अनमोल
अपने भी हैं साथ
कुछ नई राह तलाशें
नई डगर ढूंढते हैं
फिर नई पतवार लिए
नई मंजिल ढूंढते हैं ।
चलो घर लौटते हैं ।।
श्री
No comments:
Post a Comment