अनकहे से अस्पष्ट से ,
मंजिल अक्सर धुंध सी ,
आयात अब अंत सी
अनवरत अकेले से ,
मुकद्दस मशवरे आजकल ,
कुछ बातें बयाँ करते है ,
अँधेरी रातों के सुनहरे सपने ,
सपनों का ठहराव फिरसे ,
उजियारी भोर की,
कल्पना में मशगुल ,
दिन रात की उलझनों में,
वादों में इरादों में ,
आगमन और प्रस्थान में
अंत और अनंत अक्सर
मेल खाते हैं
अक्सर अमिरिय्त और फक्कड पंथी,
एक से नजर आते है
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