Sunday, July 7, 2019

याद ए भोपाल

भींगी बरसात में चाँद को निहारते ,
फिर बारिश और झील का किनारा ,
कितना मधुर था वो रेस्टोरेंट का गाना ,
आज फिर घटा है सावन की ,
चलो बड़ी झील पे गुनगुना लेते हैं ,
कुछ आराम के पल इस जद्दोजहद,
की जिंदगी में फरमा लेते हैं ,
जब ये पल न होंगे तो ,
फिर शायराना कल याद करेंगे ,
जब कुछ पल मिल जाएंगे तो ,
फिर जिंदगी आबाद करेंगे ,
फिर आने की फरियाद ,
तुम्हे याद करेंगे ।।

श्री 

No comments:

Post a Comment