जब खुशियों से सब जलते हैं ......
किसको समझे हम अपना,
जब खुशियों से सब जलते हैं ||
किसी के खातिर खून बहा कर ,
हेय में खुशियाँ भरतें हैं |
और किसी को देख ख़ुशी में,
ज्वाला से हम जलते हैं ||
टीसुओं से कर मोह्भ्रमित,
जब कर्त्तव्य निर्वहन करते हैं |
और किसी के खेल हेय से,
पंछी के पर उड़ते हैं ||
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