Tuesday, June 1, 2010

CLOSED EYE#18

अंधकार , मन को चोट देता है | हर समय नई  सोंच और जिन्दगी जीने का अहसास ख़त्म कर देता है | जिन्दगी बस रेल की पटरी पर दौड़ती है | आज का युग इस बात का साक्षी है | हर पल केवल भविष्य की चिंता वर्तमान का कोई ठिकाना नहीं बस भविष्य शानदार हो | इन हालात को देखकर मन में ये भाव उठते है ............

"अंधकार"

एक सजा बन गयी है जिन्दगी ,
कौन सा इतिहास हम ,
न हमारा वर्तमान पे आधिकार ,
टूटी शाख सी बस जल रही है जिन्दगी ......

कम नहीं है दर्द ,
बस दर्द का ख्याल नहीं रहता | 
आँसू  बहते है  ,
आँसुओं का आहसास नहीं रहता |

कहता हूँ खुश हूँ पर ,
ख़ुशी का अहसास नहीं रहता |
समय नहीं है जीवन में ,
जीने का कोई अहसास नहीं होता |

खबर आती है ,
खुशियों के आने का |
ख़ुशी मनाने का ,
इन्तजार नहीं रहता |

बहुत कमाते है दौलत ,
प्यार कमाने का जमाना नहीं मिलता |
एक नाव पे सवार है ,
अपनी मंजिल का इन्तजार नहीं रहता | 

खूब लुटाते है अपनी दौलत ,
प्यार लुटाने का बहाना नहीं मिलता |
कहते है सात जन्म साथ जियेंगे ,
सात कदम चलने का विश्वास नहीं रहता |

                                                                   - श्रीकुमार गुप्ता

8 comments:

  1. "कहते है सात जन्म साथ जियेंगे
    सात कदम चलने का विश्वास नहीं रहता"
    great words .........

    ReplyDelete
  2. आज तो भाई भाई पर विश्वास नही करता ...
    सही लिखा है सात जानम का वादा ... बार दौलत होने तक ही होता है ....

    ReplyDelete
  3. खूब लुटाते है अपनी दौलत ,
    प्यार लुटाने का बहाना नहीं मिलता |
    कहते है सात जन्म साथ जियेंगे ,
    सात कदम चलने का विश्वास नहीं रहता

    सटीक कहा है....सुन्दर अभिव्यक्ति

    ReplyDelete
  4. खबर आती है ,
    खुशियों के आने का |
    ख़ुशी मनाने का ,
    इन्तजार नहीं रहता |
    बेशक इंतजार न रहे पर खबर झूठी तो नहीं है
    सुन्दर रचना

    ReplyDelete
  5. dard hain par dard me bhi sachchayi aur gaharayi jhalkti hain..

    ReplyDelete
  6. कहता हूँ खुश हूँ पर ,
    ख़ुशी का अहसास नहीं रहता |
    समय नहीं है जीवन में ,
    जीने का कोई अहसास नहीं होता |

    Excellent lines..........very nice poem

    ReplyDelete