कभी सपनों का महल ,तो कभी आंसुओं की फरियाद है |
कभी रेत की ढेर सी खामोश ,तो कभी पेड की छाँव है ये जिंदगी ||
कभी गीता की पाठ ,तो कभी कुरान की आयात है |
एक कारवाँ सपनों का बागबाँ ,तो कभी माझी
की नैया और पतवार है ये जिंदगी ||
कभी काँटों का दामन , कभी जश्ने बहार है|
शांति की वीणा ,तो कभी लहू की ललकार एक आवाज़ है ये जिंदगी ||
कभी ममता की छाँव कहीं ,तो कभी करुणा की तस्वीर है |
आने वाले जीवन की, अनुभवों की गीत है ये जिंदगी ||
-श्रीकुमार गुप्ता
Thursday, January 7, 2016
भोपाली शायर
मस्वरें काफी दिए ता जिन्दगी उसने
एक जमाना उनकी याद में खाली छोड़ आये हैं ।।
क्या अदब जिन्दगी है ग़ालिब
तुम बेदर्द मेरी तकलीफें पहचानते हो ||
गुजर जाती है जिनकी याद में
पूरी जिन्दगी टूट कर
और अधूरी बात है
की कभी पूरी न हुई ।।
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