Saturday, February 13, 2016

Valentine's day अरदास

निशा की ये करवट,
आज फिर मीठी यादें,
दोहराती है ।।
तुम ही रहोगे,
कल भी आज भी ,
ये अंजाम चाहता हूँ ।।
न दौलत न खुदा चाहता हूँ ।।
तुझ में अरदास मांगता हूँ ।।

बिखर गयी,
वो गुलाब की पंखुडियां,
तेरे वजूद का
अहसास देती,
न खुदा न इबादत चाहता हूँ ।।
तुझमे तुझे चाहता हूँ ।।

फिर भी तुमसा,
ये जहाँ लगता है,
न परवाह
जमाने की ,
मै वो शामें ,
दोहराना चाहता हूँ ।।
तेरी कस्ती का,
पतवार होना चाहता हूँ ।।

तेरी बेबसी थी,
या जमाने का भ्रम,
आज उन यादों को,
सजा रहा हूँ ,
मै फिर से ,
तेरी यादों में तुझको,
पाना चाहता हूँ ।।
मै तुझको अपना,
रब बनाना चाहता हूँ ।।
श्री

1 comment:

  1. प्रेम है ये जो स्वत ही सब कुछ करवा लेने चाहता है ... अच्छी रचना ..

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