जिंदगी इशरत में 
एक ख्वाब देखा 
जागती आँखों में 
संसार देखा 
कवायद थी 
इन्तहा की हद थी 
इस हद में 
जिंदगी को 
गुलजार देखा 
आंसू की मोती 
आँखों में लिए 
मोहब्बत का 
मुमताज देखा 
शायद इन आँखों ने 
तुझमे अपना 
संसार देखा
हूनर तेरे मोहब्बत का 
कशिश मेरी होगी 
आँखें तेरी पर 
मोहब्बत मेरी होगी 
कभी सुकून से देख 
लेना तस्वीर अपनी 
चेहरा तेरा 
निगाहें मेरी होंगी ।।
फिर यकीन होगी 
मोहब्बत की आरजू 
तड़पना शायद 
पड़ेगा उम्र भर यूँ ही 
शिकायत नही 
इबादत है 
खुदा से फिरभी
तुम फिर भी हो 
जरूरत मेरी
मेरे अलफ़ाज़ में मेरी मोहब्बत को पहचान लेना 
थोड़ा समझ लो तो अलफ़ाज़ मोहब्बत होंगे ।।
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