इन्कलाब के दिन
न सहीं पर
फिर से ये गीत सुनाऊंगा
जब भगत झूल गए फांसी पर
मै बिस्मिल के गीत सुनाऊंगा ।।
तुम होगे राष्ट्र पिता पर
उस दिन पिता नही बन पाए थे
युवा देश भक्त बेटे की
जान नही बचाए थे
जलीय वाला बाग़ के
मजबूरों को इन्साफ नही
दिलाया था ।
खूब किया ऊधम सिंग ने
जो डायर को मारा था
लहू विरंजित भारत माँ को
सच्चा इन्साफ दिलाया था ।।
करनी तो उनकी भी
हिंसा पर चलती थी
फिर भी पक्ष
अंग्रेजों का ले के
उन बेटों को
नही बचाया था
भारत माँ के बेटों को
शूली पर चढ़वाया था ।।
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