Sunday, March 25, 2018

Ram

सब कुछ है बस राम नही है,
है मन मे बढ़ता अभिमान,
बदलाव से क्यों संज्ञान ,
मूर्ख बने वाचाल जन्मों से,
बस नारा रह गए राम ।।

भूमि मर्यादा भूल चला,
हर कोई है अनजान,
रावण सा है अभिमान,
नारी के लिए नही सम्मान ,
बस नाम ही राम
न बड़ों का सम्मान ।।

वो धर्म धरा थी ,
राम अर्थ था ,
सीता वचन थी ,
हनुमान ज्ञान थे ,
अंगद शक्ति थी ।।

भरत भाई थे,
सुग्रीव मित्र थे,
वचनों से था,
हर धर्म महान,
बस राम ही राम
हर कंठ में राम ।।

शबरी के जूठे बेरों में
वो मिठास थी
जो आज नही है
पत्थर से सागर तर जाए
वचनों में जज्बात नही है
कलयुग में इतिहास ढूंढते
साक्ष्यों में विश्वास नही है ।।
बस नारा रह गए राम ।।

इतिहास का भारत
भरत का भारत
अयोध्या में आवास नही है
लड़खड़ाते युगों से धरती
नेताओं में विश्वास नही है ।।
बस नारा रह गए राम ।।
"श्री"

Saturday, March 24, 2018

सादगी#5

न उम्र की बात है,
न जिंदगी की बात,
ये तो प्यार है,
ये सदियों के पार है ।।


रुक जाती है ,
धड़कन जब तू ,
साथ होती है ,
न हो साथ,
तो अक्सर,
उदास होती है ।।


फिर भी हर रोज,
सच्ची मोहब्बत,
होती है,
और तुमपे,
गहरा ये,
यकीन होता है।।
तुम मेरी हो, 
ये अहसास यकीं होता है ।।

New year#14

Spouse#13

जीवन संगिनी,
क्या छुपा है तुमसे,
मेरी हर मंजिल अनवरत तेरी  काया, 
तुम बिन जीवन सुना है,
सरल सा जीवन कठिन हो चला ||

 जीवनसंगिनी, 
तुम बिन सब सुना,  
पुष्प भी काँटों से लगते,  
कलियाँ कठोर होती,
मन को कचोटती,
विरह के गीत,
सरोवर की मंद वेग में,
घिर आये मेघ से वंदन 

हे मेघ, 
कालिदास की विरह, 
मेघ दूत बन,
जीवनसंगिनी को, 
मेरे कुशल होने का ,
आभास दो, 
विरह वेला में जलते,
मन में खलीपन लिए,
तेरी कामना में,
तेरे इंतजार में,
बस तुम्हारा.....

"श्री"