कभी सपनों का महल ,तो कभी आंसुओं की फरियाद है |
कभी रेत की ढेर सी खामोश ,तो कभी पेड की छाँव है ये जिंदगी ||
कभी गीता की पाठ ,तो कभी कुरान की आयात है |
एक कारवाँ सपनों का बागबाँ ,तो कभी माझी
की नैया और पतवार है ये जिंदगी ||
कभी काँटों का दामन , कभी जश्ने बहार है|
शांति की वीणा ,तो कभी लहू की ललकार एक आवाज़ है ये जिंदगी ||
कभी ममता की छाँव कहीं ,तो कभी करुणा की तस्वीर है |
आने वाले जीवन की, अनुभवों की गीत है ये जिंदगी ||
-श्रीकुमार गुप्ता
Monday, November 12, 2018
दीपावली
कुछ भाव अलग,
अंदाज़ अलग,
भावों से अगिनित,
दिये जलाएं ।।
कुछ लम्हों को,
समेट कर,
नई आशा के,
दीप जलाऐं ।।
माँ भारती की,
करें वन्दना,
राम राज की,
रीत बनाएं ।।
अज्ञानता के,
अंधियारों में,
ज्ञान की अनंत,
अलख जगाएं ।।
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