की दोस्त कम मिले,
राह तो आसान न थी,
जो मिले सच्चे मिले ।।
सफर अच्छा रहा की दोस्त.....
बयां न कर पाएं,
जो जज़्बात के अंदाज,
दर्द को दर्द से बांटते,
दिलदार है मिले,
टूटते सपनो को,
हकीकत न होने दिया ,
अपनी हंसी ठिठोली में
हर पल को है जिया ।
सफर अच्छा रहा की दोस्त .....
एक आवाज पर,
लांघते थे चौखट,
जो नंगे पांव,
यार के आवाज से,
मुस्काती थी हर शाम,
जिंदगी की खुद्दारी के,
इनाम कम मिले ।
सफर अच्छा रहा की दोस्त.....
आज भी आबाद है,
जिंदगी उसी अंदाज में ,
थोड़े यार इक्कठे हो ,
उसी गांव के चौराहे पे,
ठहाके गूंजेगी फिर
मुस्कुराएगा अतीत ।
सफर अच्छा रहा की दोस्त.....
भूत , भविष्य ,वर्तमान के,
अलंकार हैं मिले ,
कभी सपने थे भविष्य के,
अब यादें है बीतें वर्षों का
आइना है आने वाले वर्षों का
सब कुछ बदल सा गया ,
कुछ दोस्त कम न हुए
सफर अच्छा रहा की दोस्त.......
No comments:
Post a Comment