बचपन
एक लम्बी सांस,
और धूप कि रानी,
घंटों जीवन,
अजब कहानी।
वो मिट्टी के घर,
और कंचा लडाई,
लम्बे - लम्बे रास्ते,
और अपनी सवारी ।
कभी यारों कि यारी,
कभी खूब लडाई,
अपने घरौंदे
प्यार कि निशानी।
वो होली की रंगत,
और दिपों की थाली,
थोड़े से पैसे ,
और खूब उधारी।
मिठी मिठी यादें,
अब लम्बी कहानी,
मंदिर कि पूजा,
और पूजा कि थाली।
वो मिठी सी यादें,
अब लम्बी रुआंसी,
ये निर्जल आँसू,
अब प्यारी कहानी।
श्रीकुमार गुप्ता
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