फिर से मुक्तसर हुई अंधियारी,
गुलाबी कलियों ने ली अंगड़ाई,
सूरज पूर्व से परिलक्षित हुआ,
सवेरा हो गया मेरे भाई ||
वक़्त रुकता नही कभी मुड़ के देखो तो, 
धुआं है सराबोर, आफतों और भागमभाग में,
अपने कायनात के लिए मुहरें जुटाता हूँ,
पीछे मुड़ उस धुंए का इंतजार करता हूँ ||
न मिले मिट्टी जिसे शान ए हिन्दुस्तान की,
तकल्लुफ मरना भी जीने से बेहतर है,
कह गए वतन के शेर ए शहीद,
मिट्टी तेरा कर्ज न चुका पाउँगा ||
तेरी मुलाकात से त्वाज्जुब है,
सरे राह फिरते तेरी आरजू लिए,
गम के बदल भी घिर आते है आँधियों संग, 
फिर भी मुमकिन खड़े है तेरे इंतजार में || 
खतों से बनती नहीं बात, 
तन्हाई के आलम में,
गुजरते है फूलों से फिर भी,
बंजर रेगिस्तान लगता है ||
रात है वीरानी अभी है, 
शायर हैं हम, 
ये लम्हे जवां है, 
महफिलें सजे या न सही, 
इन लम्हों में हंसी सपने जवां है ||
लुहारों की बस्ती में, 
सोने नहीं बिकते दोस्त, 
फिर हम तो हीरे हैं, 
जिसकी चमक भी न देखी हो, 
उसने कभी || 
तू ही दिलकश है हमारी नजरों में,
कभी जमीं पे उतर ऐ नजमी, 
तेरे हर सपनों को हकीकत कर दूंगा,
ये वादा रहा ||
ये वादा रहा ||
आज भी अधूरी है ये शाम हमारी, 
उलझनों से गुजर मंजिल की आस में, 
कह गये वो हमसे, 
जीना इसी का नाम है || 
कल होगी फिर से रोशन ऐ दुनिया, 
आपकी यादों में फिर तोड़ेंगे चाँदनी,
गर सच्चा है प्यार हमारा, 
दिख जायेंगे सितारों में कहीं ||
तुझ से एक गुजारिश है,
मेरी सितम में कोई न है रोने वाला, 
तू कुछ देर और ठहर || 
अधूरी अधूरी सी है ये दास्ताँ ने मोहब्बत, 
लव तेज न सहीं पर देर तक जलती है ||
नवाबियत तो अस्क बन ढह जाएगी, 
एक किताब बन सिमट जाएगी, 
कभी खुद को आईने में देख ऐ नवाब, 
तेरी फितरत की तर्ज तेरी दुनिया भी मिट जाएगी ||
अगर इकरार न करो,
तो अहसान भी न करना,
तो अहसान भी न करना,
काँटों पे चल फ़क़ीर सहीं, 
हम जिन्दगी तो जी ही लेंगे ||
कभी माझी बन नाव की सेज थामता,
आज मेरे अपने ही मंजिल चले जा रहे है || 
जाने कौन मुकद्दर से सिकंदर गुजरता है,
खड़े है हम कोशिशों की किताब लेकर || 
"श्री" 
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