कसीदें दुवाएँ बहुत हुई ,
मैं मजबूर हूँ मुझे मुमकिन न समझना ,
फिर भी मैं यकीन अल्फ़ाज़ रखता हूँ,
कुछ आँसू तेरे होठों से भी गुजरेंगे ।।
मुकम्मल न हो सकी मोहब्बत ,
लोगों ने बेगाना बना दिया,
तड़पते निकले आँसू ,
मोहब्बत ने दीवाना बना दिया ।।
मुझे तुम अच्छी लगी,
मुस्कुराहट पे मर मिटा,
तेरी कातिल अदाओं ने ,
दीवाना बना दिया ।।
मयस्सर न होगी,
मेरी मोहब्बत इस दौर में ,
दिल की कीमत ने फिर ,
वक़्त को कातिल बना दिया ।।
मेरी भीगीं आँखें आज भी ,
तुझसे सच्ची मोहब्बत करती है,
थोड़ा मजबूर थोड़ा मगरूर हूँ ,
फिर भी मोहब्बत ने मुझे,
परवाना बना दिया ।।
कुछ कदम साथ चलो ,
जन्मो की क्या बात करूं ,
दिल का मरीज नही ,
पर तड़पते दिल ने मुझे,
तलबगार बना दिया ||
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