नक्सलवाद
लहू की गंगा
और ख़ूनी आँख ,
इसी का नाम है
नक्सलवाद |
कहो मारोगे ,
या काटोगे ,
या जिन्दा
जलाओगे |
दल दल हो
तुम,
क्रोध की
अग्नि में,
एक दिन खुद ही
भस्म हो जाओगे |
एक गँदगी हो तुम ,
अपनी गलती दोहराते हो ,
बस भोग विलास के
बहाने तलासते हो |
बदलना चाहते हो सत्ता ,
और सामने आने
से भी घबराते हो |
अपनी ऊँची बातों से ,
भोले ग्रामीणों को
बहकाते हो |
न ये कारवाँ रुकेगा ,
न तुम सफल हो पाओगे ,
एक काले धब्बे से ,
बस अपनी औकात
दिखाओगे |
वो गौरव के सितारे है |
जो शहीद हुए ,
तुम तो बिना कफ़न के ही ,
दफ़न हो जाओगे |
और मिटटी की
गहराई में ,
अपने कोरे अस्तित्व
को पाओगे |
श्रीकुमार गुप्ता
its totaly true
ReplyDeletend very well written............
bahut sachchi kavita....
ReplyDeleteबहुत सही ललकारा है!
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