बंद होठों से जज्बात,
समझ जाते हैं ।।
शायर हैं इशारे,
समझ जाते हैं ।।
मोहब्ब्बत ही है,
हमेशा रहेगी ।।
तुम हमारे,
और हम तुम्हारे ।।
हर इरादे,
समझ जाते है ।।
श्री
कभी सपनों का महल ,तो कभी आंसुओं की फरियाद है | कभी रेत की ढेर सी खामोश ,तो कभी पेड की छाँव है ये जिंदगी || कभी गीता की पाठ ,तो कभी कुरान की आयात है | एक कारवाँ सपनों का बागबाँ ,तो कभी माझी की नैया और पतवार है ये जिंदगी || कभी काँटों का दामन , कभी जश्ने बहार है| शांति की वीणा ,तो कभी लहू की ललकार एक आवाज़ है ये जिंदगी || कभी ममता की छाँव कहीं ,तो कभी करुणा की तस्वीर है | आने वाले जीवन की, अनुभवों की गीत है ये जिंदगी || -श्रीकुमार गुप्ता
बंद होठों से जज्बात,
समझ जाते हैं ।।
शायर हैं इशारे,
समझ जाते हैं ।।
मोहब्ब्बत ही है,
हमेशा रहेगी ।।
तुम हमारे,
और हम तुम्हारे ।।
हर इरादे,
समझ जाते है ।।
श्री
कसीदें दुवाएँ बहुत हुई ,
मैं मजबूर हूँ मुझे मुमकिन न समझना ,
फिर भी मैं यकीन अल्फ़ाज़ रखता हूँ,
कुछ आँसू तेरे होठों से भी गुजरेंगे ।।
मुकम्मल न हो सकी मोहब्बत ,
लोगों ने बेगाना बना दिया,
तड़पते निकले आँसू ,
मोहब्बत ने दीवाना बना दिया ।।
मुझे तुम अच्छी लगी,
मुस्कुराहट पे मर मिटा,
तेरी कातिल अदाओं ने ,
दीवाना बना दिया ।।
मयस्सर न होगी,
मेरी मोहब्बत इस दौर में ,
दिल की कीमत ने फिर ,
वक़्त को कातिल बना दिया ।।
मेरी भीगीं आँखें आज भी ,
तुझसे सच्ची मोहब्बत करती है,
थोड़ा मजबूर थोड़ा मगरूर हूँ ,
फिर भी मोहब्बत ने मुझे,
परवाना बना दिया ।।
कुछ कदम साथ चलो ,
जन्मो की क्या बात करूं ,
दिल का मरीज नही ,
पर तड़पते दिल ने मुझे,
तलबगार बना दिया ||
आज लोग बदल गए,
वक्त की रफ्तार कहो,
या मौसम का रुख,
की लोग बदल गए ।
जिन्दगी की गफलत में,
अपनी दुनिया पियोए ,
आँसुओं के बोझ में ,
चेहरे झुलस गए ,
की लोग बदल गए ।
कल तक वफा की बात थी ,
अब जिद हो चली ,
कभी वक्त था की साथ बैठे ,
आज वक्त नही की साथ बोलें,
ये बिसात हो गयी तलब जिन्दगी,
की साथ हम साथ तुम हो गए,
आज लोग बदल गए ।
वक्तसर यूं,
खामोश न रहो,
हिम्मत हो तो,
सच भी कहो,
न मौसम न हवाएं बदली,
न ये वक्त न नियत बदली,
शायद किसी की,
कीमत बदल गयी,
और थोड़े वो बदल गये,
आज लोग बदल गए ।।
यूँ ही तुम भी रोओगे,
हम भी रोएंगे,
तुम जज्बात से,
हम अलफ़ाज़ से,
तुम कुछ तड्पोगी,
थोड़े हम भी तड़प लेंगे,
फिर भी तुम न बदलोगे,
न हम बदलेंगे ,
इन अलफ़ाज़ में शायद,
किसी का दिल जलेगा,
और शायद अल्फाजों में,
वो न बदलेगा,
की लोग बदल गए ,
पर वो न बदलेगा।
पर वो न बदलेगा ।।
दोस्त तू ही था ...
मेरी तकलीफ में,
मेरी गरीबी में,
चिल्हर लिए,
चने की दूकान में,
फेल खड़े,
आखिरी बेंच में
दोस्त तू ही था ।।..
मेरे स्कूल में,
शहर की तकलीफ में,
भीगे आँखों में,
जब सब चले गये,
अपने मुह मोड़ लिए,
दोस्त तू ही था ।।
कालेज रैगिंग के दिन,
असहज आंसू में,
हंसी की ठिठोली में,
टपरी पे चाय पीते,
चिल्ल्हर से पेट्रोल लेते,
दोस्त तू ही था ।।
बैक में,
दुःख बाटने,
न घर वाले न रिश्तेदार
बस तू ही था
इंटरव्यू में फ़ैल होते,
छुपे आंसू पोछते ,
ठेले पे धुएं उड़ाते ,
मेरे गम में,
दोस्त तू ही था ।।
रात पढ़ते में,
दिन भर सोते में,
पोहे खाते,
गाड़ी में जाते,
जज्बात सहेजते,
तकलीफ बाँटते,
दोस्त तू ही था ।।
कॉलेज की,
तकलीफ में,
नौकरी की तलाश में,
किसी ख़ास की आस में
दोस्त तू ही था ।।